राजग में ‘हम किसी से कम नहीं’ की रार
आज भी नहीं सुलझ सकी बिहार में सीट बंटवारे की गुत्थी
बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सीटों के बंटवारे को लेकर भाजपानीत राजग में जारी खींचतान का मसला लगातार उलझता दिख रहा है। जहां एक ओर भाजपा ने सूबे की कुल 243 सीटों में से कम से कम 180 सीटों पर अपनी दावेदारी बदस्तूर बरकरार रखी हुई है वहीं दूसरी ओर राजग के बाकी घटक दलों ने भी लगातार ‘हम किसी से कम नहीं’ का राग आलापना जारी रखा हुआ है। हालांकि इस विवाद का हल तलाशने की अनौपचारिक कोशिशों के तहत अपने सहयोगी दलों के साथ भाजपा की बातचीत काफी लंबे समय से जारी है लेकिन आज पहली दफा गठबंधन के सभी शीर्ष नेताओं की दिल्ली में हुई औपचारिक बैठक में भी इस मसले पर कोई आम राय नहीं बन सकी। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के निवास पर आज दोपहर के भोजन पर हुई बैठक के बारे में जानकारी देते हुए लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान ने स्वीकार किया है कि सीट बंटवारे को लेकर राजग के घटक दलों की बातचीत में भले ही कोई आम सहमति नहीं बन पायी हो लेकिन सभी दल इस बात पर पूरी तरह एकमत हैं कि अव्वल तो इस बार के चुनाव में पूरा गठजोड़ एक टीम के तौर पर एकजुट होकर मैदान में उतरेगा और दूसरे सीटों के बंटवारे के मसले पर जल्दी ही आम सहमति कायम कर ली जाएगी। पासवान ने उम्मीद जतायी है कि सीटों के बंटवारे को लेकर राजग के घटक दलों की इसी सप्ताह दोबारा बैठक आयोजित की जाएगी जिसमें आम सहमति से इस मामले को पूरी तरह सुलझा लिया जाएगा।
आज की बैठक के लब्बोलुआब पर नजर डालें तो तकरीबन साढ़े तीन घंटे की मगजमारी के बाद एक बात तो तय कर ली गयी है कि अब चुनाव से पहले सूबे में राजग का विस्तार नहीं किया जाएगा। सूत्रों की मानें तो भाजपा की इच्छा थी कि सीमांचल के इलाके में यादव वोटबैंक में सेंध लगाने के लिये राजग के बागी सांसद पप्पू यादव के साथ अंदरूनी तौर पर सांठगांठ कर ली जाये लेकिन आज की बैठक में पार्टी अपने सहयोगी दलों को इस रणनीति पर अमल करने के लिये सहमत नहीं कर सकी। रामविलास पासवान की लोजपा से लेकर उपेन्द्र कुशवाहा की रालोसपा व जीतनराम मांझी की हम ने भी साफ शब्दों में भाजपा को बता दिया कि बिहार में राजग के चारों घटक दल ही आपस में तालमेल करके चुनाव लड़ें और इसके अलावा किसी भी अन्य दल या गठजोड़ के साथ कोई रिश्ता ना बनाया जाए। सहयोगियों की इस समवेत मांग को भाजपा ने भी स्वीकार कर लिया है लिहाजा अब यह तो साफ हो गया है कि बिहार में राजग की छतरी के नीचे इस दफा कुल चार पार्टियां ही दिखाई देंगी। लेकिन जिस मसले को लेकर आज की बैठक आयोजित की गयी थी उस पर कोई आम सहमति नहीं बन पाने के कारण इस बैठक को बेनतीजा करार देना ही बेहतर होगा। सूत्रों की मानें तो सीट बंटवारे को लेकर तमाम सहयोगी दल भाजपा पर इस बात का दबाव बनाने में जुटे हुए हैं कि जिस तरह पिछले विधानसभा चुनाव में उसने कुल 102 सीटों पर चुनाव लड़ा था और बाकी 141 सीटें अपनी तत्कालीन सहयोगी जदयू के लिये छोड़ दी थी उसी फार्मूले का इस बार भी अनुसरण किया जाये। जबकि भाजपा की कोशिश है कि इस बार वह कम से कम प्रदेश की 180 सीटों पर चुनाव लड़े ताकि अपने दम पर बहुमत का जुगाड़ किया जा सके। सूत्रों की मानें तो आज की बैठक में सहयोगियों की मांग पर भी विस्तार से बातचीत हुई और भाजपा की जिद पर भी। लेकिन कोई भी पक्ष आज कतई अपनी मांग से पीछे हटने के लिये सहमत नहीं हुआ जिसके कारण आम सहमति की कोई राह नहीं निकल सकी। हालांकि सूत्र बताते हैं कि ‘प्लान बी’ के तहत अगली बैठक के लिये भाजपा ने एक फार्मूला यह भी बनाया हुआ है कि वह खुद 160 सीटों पर चुनाव लड़े जबकि लोजपा को 40, रालोसपा को 25 और हम को 18 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिये सहमत किया जाये। लेकिन अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा के इस फार्मूले पर उसके बाकी सहयोगी दल सहमत होना गवारा करते हैं या फिर उसे किसी अन्य ‘प्लान सी’ के तहत कुछ और झुकने के लिये मजबूर होना पड़ता है।
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